प्रकाशन तिथि: 16 अप्रैल 2025 | लेखक: Rakesh Kumar

इस अहम सुनवाई में देश के दिग्गज वकील कपिल सिब्बल ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पक्ष रखा और बताया कि कैसे यह कानून संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ हो सकता है। वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार ने इसका समर्थन करते हुए तर्क पेश किया कि यह कानून <strongधार्मिक संस्थाओं की संपत्ति की सुरक्षा के लिए बेहद ज़रूरी है।
क्या है वक्फ एक्ट?
Waqf Act एक ऐसा कानून है जिसके तहत मुसलमानों की धार्मिक संपत्तियों को वक्फ बोर्ड के अधीन लाया जाता है, ताकि उनका सही प्रबंधन और संरक्षण किया जा सके। लेकिन हाल के वर्षों में इस कानून पर विवाद खड़े हो गए हैं, जहां कुछ लोगों का आरोप है कि इस कानून का दुरुपयोग कर निजी संपत्तियों पर दावा किया जा रहा है।
याचिकाकर्ताओं का क्या कहना है?
देशभर के कई संगठनों और नागरिकों ने मिलकर याचिकाएं दायर की हैं, जिनमें दावा किया गया है कि Waqf Act एकतरफा है और इससे अन्य धर्मों के संपत्ति अधिकार प्रभावित हो सकते हैं। उन्होंने अदालत से अपील की है कि इस कानून की संवैधानिकता की जांच की जाए।
कपिल सिब्बल की दलील
वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि याचिकाएं जिस तरह से प्रस्तुत की गई हैं, उनमें संवैधानिक भावना और अल्पसंख्यक अधिकारों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है। उन्होंने कहा कि इस मामले को सांप्रदायिक रंग देना खतरनाक हो सकता है और इसे गंभीर कानूनी ढंग से निपटना ज़रूरी है।
केंद्र सरकार का पक्ष
वहीं केंद्र सरकार ने कहा कि Waqf Act को संसद ने बनाया है और इसका उद्देश्य किसी भी धर्म विशेष को बढ़ावा देना नहीं, बल्कि धार्मिक संपत्तियों का निष्पक्ष प्रबंधन है। सरकार ने कोर्ट से अनुरोध किया कि इस कानून को संवैधानिक ठहराया जाए।
क्या हो सकता है असर?
अगर सुप्रीम कोर्ट इस कानून को असंवैधानिक घोषित करता है, तो इसका असर देशभर की लाखों वक्फ संपत्तियों पर पड़ेगा। साथ ही यह निर्णय भारत की धार्मिक स्वतंत्रता और संपत्ति के अधिकार से जुड़े कानूनों को भी प्रभावित कर सकता है।
निष्कर्ष
Waqf Act को लेकर सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुई यह सुनवाई भारत के कानूनी इतिहास में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकती है। अब देखना यह है कि देश की सर्वोच्च अदालत इस मुद्दे पर क्या ऐतिहासिक फैसला सुनाती है।