
कंबोडिया-थाईलैंड सीमा पर मंदिर विवाद फिर उफान पर, गोलीबारी में सैनिक घायल
दक्षिण-पूर्वी एशिया में दो पड़ोसी देशों थाईलैंड और कंबोडिया के बीच एक बार फिर से तनाव बढ़ गया है। इस बार विवाद का केंद्र बना है एक प्राचीन मंदिर परिसर, जिसे दोनों देश अपना-अपना बताते रहे हैं। विवाद कब तक जारी रहेगा यह बताना मुश्किल है अभी का समय। यह तो समय ही बताएगा विवाद बढ़ता है या घटता है।

क्या है विवाद का कारण?
विवादित इलाका है प्रासात ता मुएन थोम मंदिर परिसर (Ta Muen Thom Temple Complex), जो थाईलैंड और कंबोडिया की सीमा पर स्थित है। ये एक ऐतिहासिक हिंदू मंदिर है, जिसे 10वीं सदी में बनाया गया था। यह प्राचीन मंदिर है।
हाल ही में थाईलैंड के दो सैनिक भूमि खदान के विस्फोट में घायल हो गए, जिसके बाद सीमा पर दोनों देशों के बीच भारी गोलीबारी हुई। थाईलैंड का आरोप है कि कंबोडियाई सैनिकों ने पहले हमला किया, वहीं कंबोडिया ने इसका खंडन किया है।
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इतिहास से जुड़ा विवाद
विवाद की जड़ें 1907 के एक फ्रेंच-थाई समझौते से जुड़ी हैं। 1962 में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) ने प्रेआ विभीह मंदिर (Preah Vihear Temple) को कंबोडिया का हिस्सा घोषित किया था। हालांकि, मंदिर के आस-पास के इलाके पर विवाद आज भी जारी है।
हिंसा और असर
- दोनों ओर से गोलीबारी की पुष्टि हुई है।
- कम से कम 9 नागरिकों की मौत और 40,000 से ज्यादा लोग सीमा से विस्थापित हुए।
- थाईलैंड ने अपने F-16 विमानों को भी तैयार रखने का आदेश दिया।
- दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को तलब किया है।
क्या बोले अधिकारी?
थाईलैंड की सेना ने कहा कि वह संयम बरत रही है, लेकिन अपनी सीमा की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार है। वहीं कंबोडियाई प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को उठाने की बात कही है।
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क्या होगा आगे?
संयुक्त राष्ट्र और ASEAN जैसे क्षेत्रीय संगठन इस विवाद पर नजर बनाए हुए हैं। कंबोडिया ने फिर से ICJ में केस दर्ज करने की तैयारी शुरू कर दी है।
📌 निष्कर्ष:
यह मंदिर विवाद सिर्फ ऐतिहासिक नहीं, बल्कि राष्ट्रवादी भावना और राजनीतिक प्रभाव से भी जुड़ा हुआ है। अगर जल्द समाधान नहीं निकला, तो यह विवाद और गंभीर रूप ले सकता है।



