India-US Trade Deal: भारत ने क्यों कहा ट्रंप को ‘ना’? 5 कारण जो बताते हैं पूरी कहानी

हाय दोस्तों, मे राकेश यहाँ! पिछले कुछ महीनों से India-US Trade Deal की खबरें सुर्खियों में हैं। कभी लगता था कि भारत और अमेरिका के बीच एक ऐतिहासिक व्यापार समझौता होने वाला है, तो कभी ट्रंप के 50% टैरिफ ने सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। लेकिन क्या आपने सोचा कि आखिर भारत ने इस डील को क्यों ठुकराया? और क्या भविष्य में कोई उम्मीद बाकी है? आज हम बात करेंगे उन 5 बड़े कारणों की, जिन्होंने India-US Trade Deal को रास्ते से भटका दिया, और ये भी देखेंगे कि आगे क्या हो सकता है। तो चलिए, शुरू करते हैं!

India-US Trade Deal: कहानी कहाँ से शुरू हुई?

2025 की शुरुआत में जब नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में मुलाकात की, तो सबको लगा कि India-US Trade Deal बस कुछ ही हफ्तों की बात है। दोनों देशों ने बाइलैटरल ट्रेड को 2030 तक 500 बिलियन डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखा। भारत ने अमेरिकी प्रोडक्ट्स जैसे बोरबॉन व्हिस्की और हार्ले डेविडसन मोटरसाइकिल्स पर टैरिफ कम किए, और अमेरिका ने भारत के टेक्सटाइल्स और जेम्स जैसे सेक्टर्स को बढ़ावा देने का वादा किया।

लेकिन जुलाई आते-आते ट्रंप ने 25% टैरिफ की घोषणा की, और फिर अगस्त में रूस से तेल खरीदने की वजह से अतिरिक्त 25% टैरिफ जोड़ दिया। यानी कुल 50% टैरिफ! लेकिन भारत ने हार नहीं मानी और डील को अपने शर्तों पर करने की ठान ली। आइए, जानते हैं वो 5 कारण जिन्होंने इस डील को रोका।

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1. Agriculture और Dairy Sector: भारत की ‘रेड लाइन’

सबसे बड़ा कारण है भारत का अपने agriculture (कृषि) और dairy (डेयरी) सेक्टर को बचाने का जज़्बा। अमेरिका चाहता था कि भारत अपने कृषि बाजार को पूरी तरह खोल दे, खासकर जेनेटिकली मॉडिफाइड कॉर्न, सोयाबीन और गेहूँ जैसे प्रोडक्ट्स के लिए। लेकिन भारत के लिए ये मुमकिन नहीं था। हमारे देश में 1.4 बिलियन लोग हैं, और लगभग आधी आबादी खेती पर निर्भर है। अगर अमेरिकी प्रोडक्ट्स बिना टैरिफ के भारत में आए, तो हमारे किसानों का क्या होगा? पीएम मोदी ने साफ कहा, “हम अपने किसानों, डेयरी वालों और मछुआरों के हितों से समझौता नहीं करेंगे।” ये India-US Trade Deal का सबसे बड़ा अड़ंगा बना।

2. Russian Oil: ट्रंप का ‘पनिशमेंट’ टैरिफ

दूसरा बड़ा कारण है रूस से तेल खरीदना। ट्रंप ने भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ इसलिए लगाया क्योंकि भारत रूस से सस्ता crude oil (कच्चा तेल) खरीद रहा है। ट्रंप का कहना है कि इससे रूस को यूक्रेन युद्ध में फायदा मिल रहा है। लेकिन भारत ने साफ कर दिया कि हम अपनी ऊर्जा सुरक्षा से समझौता नहीं करेंगे। भारत ने कहा, “हम ग्लोबल प्राइस-कैप फ्रेमवर्क के तहत ही तेल खरीद रहे हैं, और यूरोपियन यूनियन और चीन भी रूस से तेल खरीदते हैं। फिर सिर्फ भारत को क्यों टारगेट?” पूर्व वित्त सचिव सुभाष गर्ग ने इसे “पॉलिटिकल थिएटर” बताया, और कहा कि भारत सही दिशा में है। India-US Trade Deal में ये मुद्दा बड़ा विवाद बन गया।

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3. भारत की Protectionist Policy: ट्रंप की नाराज़गी

ट्रंप ने भारत को “हाई टैरिफ वाला देश” कहा और दावा किया कि भारत अमेरिकी प्रोडक्ट्स को अपने मार्केट में आसानी से घुसने नहीं देता। भारत की protectionist policy (संरक्षणवादी नीति) लंबे समय से अपने घरेलू मार्केट को बचाने की कोशिश करती है। भारत ने कुछ प्रोडक्ट्स पर टैरिफ कम किए, लेकिन ट्रंप को ये काफी नहीं लगा। उदाहरण के लिए, भारत की Quality Control Orders (QCO) पॉलिसी, जो सस्ते आयात को रोकती है, अमेरिका को खटक रही है। ट्रंप चाहते थे कि भारत अपने टैरिफ को जीरो कर दे, लेकिन भारत ने साफ कर दिया कि हम अपनी इंडस्ट्री और छोटे कारोबारियों को प्रोटेक्ट करेंगे।

4. Trade Deficit: ट्रंप का पुराना राग

अमेरिका का भारत के साथ 45.8 बिलियन डॉलर का trade deficit (व्यापार घाटा) ट्रंप की सबसे बड़ी चिंता है। 2024 में भारत ने अमेरिका को 87.3 बिलियन डॉलर के प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट किए, जबकि अमेरिका से सिर्फ 41.5 बिलियन डॉलर के प्रोडक्ट्स इम्पोर्ट किए। ट्रंप चाहते हैं कि ये घाटा कम हो, और इसके लिए वो भारत पर दबाव बना रहे हैं। लेकिन भारत का कहना है कि हम पहले ही कई कन्सेशन्स दे चुके हैं, जैसे बोरबॉन और मोटरसाइकिल्स पर टैरिफ कम करना। India-US Trade Deal में ये असंतुलन एक बड़ा मुद्दा बना।

5. Political Dynamics: मोदी-ट्रंप की टक्कर

आखिरी लेकिन सबसे ज़रूरी कारण है दोनों नेताओं की पॉलिटिकल डायनामिक्स। ट्रंप चाहते थे कि मोदी उनसे डायरेक्ट बात करें, लेकिन भारत के विपक्ष के दबाव की वजह से मोदी ने ऐसा करने से परहेज किया। ट्रंप ने कहा कि वो “हेड-टू-हेड” मीटिंग में डील फाइनल करना चाहते हैं, लेकिन मोदी ने इसे टाला क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि ट्रंप उन्हें पब्लिकली “बेरेट” करें। दूसरी तरफ, भारत ने अपनी “स्वदेशी” नीति को और मज़बूत किया, और पीएम मोदी ने कहा कि हम आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बढ़ रहे हैं। India-US Trade Deal में ये पॉलिटिकल टकराव भी एक बड़ा कारण रहा।

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क्या है भारत का प्लान B?

50% टैरिफ के बावजूद भारत हार नहीं मान रहा। सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जैसे GST रिफॉर्म्स और स्वदेशी प्रोडक्ट्स को बढ़ावा देना। पीएम मोदी ने हाल ही में कहा, “हम अपनी मुश्किलों पर रोएंगे नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर बनेंगे।” भारत अब दूसरे मार्केट्स जैसे वियतनाम, यूरोप और मिडिल ईस्ट की तरफ देख रहा है ताकि एक्सपोर्ट्स को डायवर्सिफाई किया जा सके। साथ ही, सरकार ने टेक्सटाइल्स और जेम्स जैसे सेक्टर्स के लिए स्पेशल फाइनेंशियल पैकेज की घोषणा की है ताकि टैरिफ का असर कम हो।

क्या भविष्य में डील मुमकिन है?

हालाँकि India-US Trade Deal अभी रुक गया है, लेकिन दरवाज़ा पूरी तरह बंद नहीं हुआ। भारत ने साफ कर दिया है कि वो बातचीत के लिए तैयार है, बशर्ते उसकी शर्तें मानी जाएँ। ट्रंप ने भी कहा कि भारत ने टैरिफ को जीरो करने का ऑफर दिया, लेकिन अब “देर हो चुकी है।” फिर भी, जानकारों का मानना है कि अक्टूबर तक अगर दोनों देशों के बीच हाई-लेवल डिप्लोमेसी होती है, तो एक मिनी-डील मुमकिन है। भारत की नज़र अब उन सेक्टर्स पर है, जहाँ वो बिना अपनी रेड लाइन्स क्रॉस किए डील कर सकता है, जैसे टेक्सटाइल्स और फार्मा।

भारत के लिए इसका क्या मतलब?

50% टैरिफ का असर भारत के टेक्सटाइल्स, जेम्स और मरीन प्रोडक्ट्स जैसे सेक्टर्स पर पड़ सकता है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) का अनुमान है कि भारत के एक्सपोर्ट्स 43% तक कम हो सकते हैं, जिससे लाखों नौकरियाँ खतरे में पड़ सकती हैं। लेकिन भारत की इकॉनमी डोमेस्टिक डिमांड पर ज्यादा निर्भर है, इसलिए इसका असर सीमित रह सकता है। साथ ही, सरकार की नई पॉलिसीज़ और आत्मनिर्भर भारत की मुहिम इसे एक मौका भी दे सकती है।

FAQs

1. India-US Trade Deal क्यों रुकी?

भारत ने अपनी कृषि और डेयरी सेक्टर को प्रोटेक्ट करने और रूस से तेल खरीदने की नीति की वजह से डील को ठुकराया।

2. ट्रंप ने भारत पर कितना टैरिफ लगाया?

ट्रंप ने 25% बेसलाइन टैरिफ और 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया, यानी कुल 50%, जो 27 अगस्त 2025 से लागू है।

3. क्या भारत रूस से तेल खरीदना बंद करेगा?

नहीं, भारत ने साफ किया कि वो अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए रूस से तेल खरीदना जारी रखेगा।

4. क्या India-US Trade Deal भविष्य में हो सकती है?

हाँ, अगर दोनों देश अपनी-अपनी शर्तों पर सहमत होते हैं, तो अक्टूबर तक एक मिनी-डील मुमकिन है।

5. टैरिफ का भारत की इकॉनमी पर क्या असर होगा?

टेक्सटाइल्स और जेम्स जैसे सेक्टर्स पर असर पड़ सकता है, लेकिन GST रिफॉर्म्स और स्वदेशी नीतियाँ इसे कम कर सकती हैं।