
Satyapal Malik death – एक नजर में
पुराने जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल Satyapal Malik death से जुड़ी ताज़ा ख़बर सामने आ रही है। उनका निधन 5 अगस्त 2025 को हुआ, उम्र थी 79, और कई सालों से चल रहे गंभीर बीमारी के चलते दिल्ली के Ram Manohar Lohia (RML) अस्पताल में उन्होंने आख़िरी सांस ली।
क्यों हुई मौत? – Satyapal Malik death की वजह
- 11 मई 2025 को उन्हें जटिल urinary tract infection और chest infection के कारण अस्पताल में भर्ती किया गया था।
- उनकी दिक्कतें: diabetic kidney disease, hypertension, obesity और obstructive sleep apnea रही। जो स्थिति को और जटिल बना रही थीं।
- उन्होंने refractory septic shock, hospital-acquired pneumonia, multi‑organ dysfunction, DIC और acute kidney injury का सामना किया, जिसमें dialysis, ventilatory support, CytoSorb therapy कई बार किया गया।
- अंत में स्वास्थ्य गंभीर रूप से बिगड़ा और 5 अगस्त को दोपहर लगभग 1:10–1:12 बजे उनका देहांत हो गया।
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जीवन परिचय और राजनीतिक सफ़र
Satyapal Malik का जन्म 24 जुलाई 1946 को उत्तर प्रदेश के Baghpat में हुआ था। राजनीतिक करियर उन्होंने 1974 में Chaudhary Charan Singh की Bharatiya Kranti Dal से यूनियन छात्र नेता के रूप में शुरू किया। बाद में Janata Dal, Congress, BJP और Samajwadi Party से जुड़े।
उन्होंने Rajya Sabha, Lok Sabha में विधायक एवं मंत्री पद संभाला। 2018 में जम्मू‑काश्मीर के अंतिम राज्यपाल नियुक्त हुए, और इसी दौरान Article 370 को हटाया गया और J&K को दो Union Territories में विभाजित किया गया। ये निर्णय 5 अगस्त 2019 को लिया गया था।
उसके बाद उन्होंने Goa (2019–20) और Meghalaya (2020–22) के राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया।
जुड़े विवाद और मुखर विचार
Satyapal Malik death से पहले ही वे केंद्र सरकार की नीतियों, 2019 Pulwama हमले की चौकाने वाली बातें, किसानों के समर्थन, और भ्रष्टाचार आरोपों को लेकर विवादित बयान देते रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि CRPF को वायुसेना की मांग की गई मगर उसे ना माना गय, जिसके चलते हमला ज़्यादा घातक हुआ।
CBI ने मई 2025 में 2,200 करोड़ रुपए की Kiru hydropower project घोटाले में Malik पर चार्जशीट भी जारी की थी, जो उनकी सार्वजनिक छवि पर भारी पड़ा।
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ट्रिब्यूट्स और प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, Mallikarjun Kharge, Mamata Banerjee, Arvind Kejriwal सहित कई नेताओं ने Satyapal Malik death पर दुख जताया और उन्हें किसानों के प्रति संवेदनशील नेता कहा।
निष्कर्ष
सत्यपाल मलिक का जीवन राजनीतिक उतार‑चढ़ाव, साहस और विवादों से भरा रहा। उनका निधन इस बात की याद दिलाता है कि कितने लोग सत्य बोलने की हिम्मत रखते हैं, चाहे उनके सामने सत्ता ही क्यों न हो। उनकी यात्रा में ऊर्जा थी, उनकी भाषा में तीखापन था, और उनकी सोच में किसान‑आंचल की गोद थी। अब उनका Satyapal Malik death इस अध्याय को विराम देता है, लेकिन उनके विचार और विरासत ज़ेहन में बनी रहेगी।
— राकेश कुमार



